सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में अतिरिक्त निदेशक श्री गोविंद पारीक ने स्वतंत्रता आंदोलन में युवाओं के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि करोड़ों करोड़ों लोगों ने सदियों तक आजादी की सुबह की प्रतीक्षा की है। उन्होंने कहा कि युवाओं के बिना दुनिया का कोई भी आंदोलन,कोई भी क्रांति या संघर्ष संभव नहीं है । युवा शक्ति के दम पर ही निर्माण या विध्वंस की नींव रखी जा सकती है । आजादी के आंदोलन में परिवर्तन की ललक, अदम्य साहस और स्पष्ट संकल्प के साथ युवाओं ने सक्रिय सहभागिता की। उन्होंने भारत के समृद्ध सांस्कृतिक विरासत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सोने की चिड़िया कहलाने वाला भारत न केवल आर्थिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी विश्व श्रेष्ठ रहा है। सदियों की गुलामी के बावजूद आज भी युवाओं के संस्कारों के बल पर ही भारतीय संस्कृति का अस्तित्व है और हमारी सांस्कृतिक विरासत अक्षुण्य बनी हुई है ।
उन्होंने कहा कि मुगल सम्राट जहांगीर ने सन 1616 में सर टॉमस रो को ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत में व्यापार की अनुमति देने के साथ ही अंग्रेजों का दौर प्रारंभ हुआ और कालांतर में सन 1757 के प्लासी युद्ध से और 1764 में बक्सर के युद्ध से अंग्रेजों की जड़ें भारत में जम गई।