आजादी के अमृत महोत्सव के तहत स्थानीय चौ. बंसीलाल सामान्य अस्पताल में टीबी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए शहर मे चेतना निकाली गई, जिसको सिविल सर्जन डॉ. रघुबीर शांडिल्य ने हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया गया। सिविल सर्जन ने बताया कि विभाग के निर्देशानुसार हर माह की 24 तारीख को निक्षय दिवस मनाया जाएगा, जिसमें टीबी से पीडि़त लोगों की मदद करने के प्रति प्रेरित किया जाएगा। हरी झंडी दिखाकर रवाना करते हुए सिविल सर्जन डॉ. शांडिल्य ने बताया कि भारत को 2025 तक टीबी मुक्त तभी कर सकते हैं जब प्रत्येक व्यक्ति इसके प्रति जागरूक हो तथा अपना पूर्ण सहयोग दे। उन्होंने बताया कि टीबी फेफड़ों का खतरनाक रोग है, लेकिन यह दिमाग, गर्भाशय के अतिरिक्त शरीर के किसी भी भाग में हो सकता है। यह बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण फेफड़े सहित रक्त प्रवाह के साथ शरीर के अन्य भागों में भी फैलता है। यह हड्डियों के जोड़, आंत, मूत्र व प्रजनन तंत्र के अंग, त्वचा और मस्तिष्क के उपर की झिल्ली आदि में भी हो सकता है। यदि टीबी को प्रारंभिक अवस्था में ही ना रोका गया तो टीबी जानलेवा भी साबित हो सकता है। सांस लेते समय टीबी के बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश कर जाते हंै। यह बैक्टीरिया किसी रोगी के खांसने से, बात करने, छींकने, थूकने और मुंह खोलकर बोलने की वजह से बैक्टीरिया के रूप में कई घंटों तक हवा में रहते हैं।