दास्तान ए रोहनात नाटक मंचन को देखकर गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज भावुक हुए। उन्होंने कहा कि यह नाटक देखकर यह पता चलता है कि देश को आजाद करवाने में हिन्दुस्तान के लोगों को कितनी कुर्बानियां और जुल्म सहने पड़े। उन लोगों की कुर्बानियों के बाद ही हम गर्व के साथ तिरंगा लहरा सकते हैं। बता दें कि भारत की आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रमों की श्रंखला में आजादी की पहली लड़ाई की 165वीं वर्षगाठ के अवसर पर दास्तान ए रोहनात नाटक मंचन मंगलवार को अम्बाला छावनी के एसडी कॉलेज के सभागार आयोजित किया गया जिसमें बतौर मुख्य अतिथि गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री अनिल विज ने शिरकत की।
उन्होने दास्तान ए रोहनात नाटक देखकर भावुक होते हुए कहा कि यह जानकर और भी दुख होता है कि इतिहासकारों ने हमें दास्तान ए रोहनात जैसे आजादी के आंदोलन की घटनाओं को क्यों नहीं पढ़ाया और बताया। उन्होंने कहा कि जिस वक्त वे पढ़ रहे थे उस समय 1857 की क्रांति को क्रांति नहीं विद्रोह कहते थे। उन्होंने कहा कि जिन अनसंग हीरो ने देश की आजादी की अलख को जगाने और आजाद होने का जज्बा पैदा करने के लिए जो कुछ किया और कुर्बानियां दी तथा उनके परिवारों ने कठिनाईयां झेली, उनके बारे में कहीं भी इतिहास के पन्नो में नजर नहीं आता। और तो और गुगल बाबा पर सर्च करने पर भी इस बारे में कुछ नहीं जानकारी मिलती। क्योंकि उनके बारे में इतिहास में दर्ज ही नहीं किया गया। आज के दिन 10 मई 1857 को आजादी की पहली लड़ाई शुरू हुई थी।