राष्ट्रीय बालिका दिवस (24 जनवरी) के अवसर पर 'सशक्त बेटियाँ संशक्त्त समाज’ विषय पर ऑनलाइन विशेष व्याख्यान आयोजित आयोजित किया गया था. व्याख्यान में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल, डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता तथा विशेष वक्ता के रूप मुंबई विश्वविद्यालय की प्रो. नमिता निम्बालकर ने संबोधित किया.
महिला सशक्तिकरण के लिए बेटियों को पढ़ाना हर परिवार का स्वभाव होना चाहिए। बेटियों को उनका वास्तविक स्थान प्राप्त हों इसके लिए समाज की मनोवृत्ति में बदलाव की आवश्यकता है। यह विचार कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने व्यक्त किए.
प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र की बालिकाओं को बचपन से ही पढाई के अवसर उपलब्ध कराने चाहिए। विश्वविद्यालयों ने खासकर बालिकाओं को उद्यमी बनाने हेतु कौशल विकास के पाठ्यक्रम शुरू करने का आहवान प्रो. गुप्ता ने किया। प्रो. नमिता निम्बालकर ने कहा कि बालिकाओं को जीवन कौशल के प्रशिक्षण के साथ- साथ उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना चाहिए। बदलती जीवनशैली और समाज माध्यमों पर अधिक समय बिताना भी बालिकाओं की मानसिक स्थिति को नुकसानदायक हो रहा है।
कार्यक्रम में स्वागत वक्तव्य हिंदी विश्वविद्यालय कें महात्मा गांधी फ्यूजी गुरुजी सामाजिक कार्य अध्ययन केंद्र के निदेशक प्रो. मनोज कुमार ने दिया। कार्यक्रम का संचालन स्त्री अध्ययन विभाग की अध्यक्ष डॉ. सुप्रिया पाठक ने किया तथा डॉ. अवंतिका शुक्ला ने धन्यवाद ज्ञापित किया। स्त्री अध्ययन विभाग की ओर से वर्ष भर की कार्ययोजना की प्रस्तुति गौरव कुमार ने की। बालिका दिवस पर बेटियों के साथ सेल्फी की प्रस्तुति भी कार्यक्रम के दौरान की गयी। कार्यक्रम का समापन राष्ट्र गान से किया गया।